शरजील इमाम और मेनस्ट्रीम मीडिया का गिरता स्तर
Press trust of India से एक ख़बर आती है,
-शारजील इमाम जहानाबाद में गिरफ्तार!
शरजील इमाम अभी फिलहाल काफी चर्चा में हैं दो दिनों से । उस पर आरोप है कि वो NRC और CAA के विरोध मे भड़काऊ बयान दिया है । जिसमें वो कहता है कि " असम को शेष भारत से अलग कर देना चाहिए और हमे चिकेन नेक को कट कर देना चाहिए ।
चिकेन नेक का कंसेप्ट मैंने यू ट्यूब से पढ़ा,जो इंटरनल सेक्योरिटी के विषय में आता है जिसका अर्थ यह है कि अगर आप नार्थ -इस्ट को देखेगें तो एक पतली सी गलीयारा टाईप का दिखाई देगा जो देखने मे बिल्कुल मुर्गी का गर्दन की भाॅती दिखाई पड़ता है इसलिए इसे चिकेन नेक कहा जाता है , और शरजील भाई साहब इसी चिकेन नेक को ब्लाक करने की बात कर रहा है । अगर वीडियो डाकटर्ड ना हो यानी ऐडिट ना होकर आरिजनल हो तो इसमे कोई दो राय नही भाई साहब पर 124 एप्लाई होना चाहिए और देश द्रोह का केस चलना चाहिए । आगे कोर्ट तय करेगा ।
दुसरी बात , इस बयान से शाहीनबाग के आंदोलनकारी ने खुद को अलग कर लिया है । वह इस बयान का कतई समर्थन नही करते है। जब कि एक हिंदी अखबार के मुताबिक शाहीन बाग के आंदोलन कारी को एक प्रतिबंधित संगठन द्वरा फंडिंग करा जा रहा है । जिसमे देश के जाने माने वकिल कपील सिब्बल का भी नाम आ रहा है । अखबार के मुताबिक ये ईडी का यानी प्रवर्तन निदेशालय के जाँच से पता चला है । चलिए यहाँ तक मेरा स्टेंड एक दम क्लियर है । अंधभक्तो की तरह अंधाई से ना सोचते हूए अगर कोई भी इंडिविजुअल या संगठन देश विरोधी कार्य में लिप्त पाया जाता है तो देश का गृह मंत्रालय उस पर संञान ले ।
[शरजील इमाम]
और कब तक एसी फालतु मुद्दो को छोड़ ऐजूकेशन , हेल्थ , रोजगार और आरिजनल मुद्दो पर बात होगी ।
-शारजील इमाम जहानाबाद में गिरफ्तार!
चिकेन नेक का कंसेप्ट मैंने यू ट्यूब से पढ़ा,जो इंटरनल सेक्योरिटी के विषय में आता है जिसका अर्थ यह है कि अगर आप नार्थ -इस्ट को देखेगें तो एक पतली सी गलीयारा टाईप का दिखाई देगा जो देखने मे बिल्कुल मुर्गी का गर्दन की भाॅती दिखाई पड़ता है इसलिए इसे चिकेन नेक कहा जाता है , और शरजील भाई साहब इसी चिकेन नेक को ब्लाक करने की बात कर रहा है । अगर वीडियो डाकटर्ड ना हो यानी ऐडिट ना होकर आरिजनल हो तो इसमे कोई दो राय नही भाई साहब पर 124 एप्लाई होना चाहिए और देश द्रोह का केस चलना चाहिए । आगे कोर्ट तय करेगा ।
[शरजील इमाम]
लेकिन यहाँ पर पहला एक सवाल है :
सिर्फ शरजील इमाम पर ही क्यों ? डीएसपी देवेंद्र सिंह पर क्यों नही ? क्या इतना बडा़ संवेदनशील मुद्दा पर गृहमंत्री को ब्रिफिंग नही करना चाहिए था ? ब्रिफिंग तो छोडे एक ट्विट भी नही दिखा। बस एक ये खबर सामने आया कि डीएसपी दविंदर सिंह को बर्खास्त कर दिया गया है । और ये चोर दलाल पत्रकार भी चुपचाप है । आखिर किस शुभ घडी़ का इंतजार हो रहा है । वहीं वरिष्ठ एक्टिविस्ट साकेत गोखले ने अभी हाल ही में एक RTI डाला गया था जिस पर गृह मंत्रालय से ये पुछा गया कि " टुकडे़ - टुकडे़ गैंग मे कौन -कौन शामिल है ? गृह मंत्रालय का जबाब ये था कि वासत्व मे कोई टुकडा़ टूकडा गैंग एगजिस्ट नही करता है ।मेरा दूसरा सवाल गृह मंत्री अमितशाह जी से ये है :
कि अगर वास्तव मे कोई टुकडा़ टुकडा़ गैंग आस्तित्व मे नही है तो आप हर चुनाव मे ये शब्द बोलकर जनता को क्यों बेवकुफ बना रहे हो?तीसरा सवाल प्रधानमंत्री से -
सुप्रीम कोर्ट का वर्डिक्ट है कि आप जाति या धर्म के नाम पर वोट नही माँग सकते ये गैर कानूनी है । तो फिर अभी हाल ही मे हुए झारखंड के चुनावी भाषण मे आपने "राम मंदिर " के आड़ मे वोट क्यों माँगा ?
चौथा सवाल :
JNU पर सत्ता का नजर क्यों है , ये जगजाहिर है । खैर असलियत जो भी हो इतने दिन बाद भी " भारत तेरे टुकडे़ होगें " का नारा लगाने वाला पर कार्यवाही क्यों नही हुआ ? चार्ज शीट का क्या हुआ ?पाँचवा सवाल:
और आखरी सवाल - पुलवामा मे आरडीएक्स कहाँ से आया ?और कब तक एसी फालतु मुद्दो को छोड़ ऐजूकेशन , हेल्थ , रोजगार और आरिजनल मुद्दो पर बात होगी ।
Very well analysed 👌👌
ReplyDeleteAgreed
ReplyDelete