अफ़जल गुरु व DSPदेवेन्द्र सिंह के सम्बंध और 2001 संसद हमला

'अफ़ज़ल गुरु से जब न्यायिक जांच और पूछताछ की जा रही थी तब एक ऐसे ताक़तवर शख्स का नाम सामने आया था जिसके कद और प्रतिष्ठा की ताकत इसी बात से  लगाया जा सकता है कि वह राष्ट्रपति से सम्मानित पुरस्कार प्राप्त जम्मू कश्मीर पुलिस में DSP रैंक का अधिकारी जिसका नाम देवेंद्र सिंह था, उसके बारे में अफ़ज़ल गुरु का कहना था कि देविंदर ने उसे फंसाया है. लेकिन इस बारे में किसी ने कोई संज्ञान नहीं लिया और पुलिस और बाकी जांच एजेंसियों ने देविंदर सिंह को किसी भी तरह से इन्वेस्टिगेट नहीं किया. अब, 11 जनवरी 2020 को वही DSPदेविंदर सिंह जो कि डिप्टी सुपरिंटेंन्डेंट ऑफ़ पुलिस हैं, श्रीनगर-जम्मू हाइवे पर एक गाड़ी में मिले जिसमें उनके साथ हिज़बुल मुजाहिद्दीन के दो वांटेड आतंकी थे. उनके पास से गाड़ी में 2 एके-47 रायफ़ल मिलीं. गिरफ़्तारी के दौरान मौके पर ही मौजूद DIG अतुल गोयल ने देविंदर को कूट दिया. बाद में देविंदर सिंह के घर की जब तलाशी ली गई तो वहां से 1 एके-47 रायफ़ल और दो पिस्टल और मिलीं. 

2001 में संसद हमले के आरोपी अफ़ज़ल गुरु ने बताया था कि साल 2000 में देविंदर ने उसे एक STF कैम्प में कई दिनों कैद रखा और टॉर्चर किया. फ़िर 2001 में देविंदर ने उसे 1 अनजान आदमी मोहम्मद को दिल्ली ले जाने और वहां उसे कमरा दिलाने के लिए कहा था और अफ़ज़ल गुरु ने शक ज़ाहिर किया था कि वो आदमी हिन्दुस्तानी नहीं था क्यूंकि वो कश्मीरी ठीक से नहीं बोल पा रहा था. लेकिन उसे मजबूर किया गया और उसे मोहम्मद को दिल्ली लाना पड़ा. मोहम्मद ने करोल बाग़ से एक कार ख़रीदी. अफ़ज़ल और मोहम्मद को लगातार देविंदर से फ़ोन कॉल्स आते रहते थे. यही वो कॉल्स थे जिनका ज़िक्र अफ़ज़ल गुरु ने किया था और कहा था कि कॉल रिकॉर्ड्स निकालें जाएं जो कि देविंदर के संसद पर हमले में शामिल होने का सबूत दे देंगे. लेकिन उन कॉल रिकॉर्ड्स की किसी ने भी सुध नहीं ली .अगर ली होती तो शायद अब तक बहुत कुछ जानकारी आज सबके सामने होती.

2013 में अफ़ज़ल गुरु को फांसी पर लटका दिया गया था.
2019 में देविंदर सिंह को राष्ट्रपति के हाथों पुलिस मेडल मिला था.


देविंदर सिंह ने 12 जनवरी से 4 दिन की छुट्टी ली हुई थी...

                        [DSP देवेंद्र सिंह] 

अफ़ज़ल गुरु देशद्रोह का इतना पक्का नाम है कि उसके नाम पर बीजेपी के JNU return अमिताभ सिन्हा कन्हैया कुमार तक को धमका रहे थे कि तुम उस देशद्रोही की बरसी करते हो, उसे फाँसी हुई.


राजनीति इतनी सीधी चीज़ नही है, न देशभक्ति और देशद्रोह इतना सीधा फ़ैसला. कितनी ही चीजें सामने कभी आती ही नही, कोई बोलता है तो उसका मुँह बन्द कर दिया जाता है, कोई शहाबुद्दीन हो जाता है कोई जज लोया हो जाता है, सुबूत नष्ट कर दिए जाते हैं, षड्यंत्र किये जाते हैं, पक्षी विपक्षी पार्टियाँ आपस मे मिल जाती हैं, अपराधी देश पर राज करते रहते हैं क्योंकि सरकारों को देशद्रोही कहने का रिवाज़ नही, देशद्रोही तो बस जनता ही हो सकती है.

जिन पुलिस वालों ने देवेंद्र सिंह को पकड़ा उन्हें पता नही था कि वो वहाँ उन आतंकवादियों के साथ हैं, देवेंद्र सिंह छुट्टी पर थे, सो अगर वो पकड़े भी गए तो ग़फ़लत में ही.

जो सुप्रीम कोर्ट तब पब्लिक सेंटीमेंट्स देख के तथाकथित न्याय कर रहा था वो आज पब्लिक सेंटीमेंट्स के कारण ही न्याय से मना कर रहा है.

जो बीजेपी तब बेताब थी कि अफजल गुरु को जल्द से जल्द फाँसी हो, नारा लगाती थी देश शर्मिंदा है अफ़ज़ल गुरु ज़िंदा है,  देखें वो अब क्या करती है देवेंद्र सिंह के केस में और पूरे देशवासियों के उम्मीदों पर खरा उतरती है या नहीं यह तो आने वाला समय ही बताएगा और इसकी समीक्षा आम नागरिकों को करनी पड़ेगी की मोदी सरकार न्यायिक जांच के बाद देवेंद्र सिंह को कड़ा से कड़ा सजा देती है कि नहीं।
                                                 

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